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Prophecies of Daniel

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डेनियल
की भविष्यवानियाँ
मार्क मैकमिलियन के संग

डेनियल के सपने और दिव्य झलकियाँ

सपनों और दिव्य झल्कियों में भविष्यवक्ता डेनियल ने संसार के भविष्य के अद्भुत दृश्य देखे. मैंने डेनियल की भविश्यवानियों के ये वीडियोस में वो सब जो उसने देखा उसे दर्शाने की और उसे इस तरह समझाने की कोशिश की है जिस तरह की बाइबिल भविष्यवाणी के पाठक कई सदियों से सही स्वीकार करते आये हैं.

अब्राहम का परमेश्वर

मई 22, 2020 · by Mark McMillion · In: Uncategorized

अगर तुम किसी विशाल विषय के बारे में बात करना चाहते हो, तुम परमेश्वर के बारे में बात कर सकते हो. या परमेश्वर के नाम के बारे में. जब में परमेश्वर का ज़िक्र करता हूँ, में अक्सर “अब्राहम का परमेश्वर” लफ़्ज़ों का इस्तेमाल करता हूँ. क्योंकि पृथ्वी पर अधिकांश लोग शायद जानते हैं तुम क्या बात कर रहे हो, जब तुम ये लफ्ज़ इस्तेमाल करते हो.

मैं “अल्लाह” या “जेहोवा” या “बाइबल का परमेश्वर” कह सकता था. पर ये सब आजकल हिचकिचाहट और हो सकता है विरोध पैदा सकते हैं. मैं ऐसा लफ्ज़ पाना चाहता था जो ज्यादा से ज्यादा लोगों की समझ में आये और जिसका कम से कम धार्मिक “बोझा” हो.

तुम्हें आश्चर्य होगा कि कितने लोग अपना धार्मिक विश्वास अब्राहम तक खींच ले जाते हैं, एक आदमी जो ४००० वर्ष पहले रहता था, जिसे “विश्वास का पिता” कहा गया है. मैं अब्राहम की बारीकियों में नहीं जायूँगा पर वह कोई वैसा नहीं है जिसके प्रति उसके या उसके जीवन में जो उसने किया, लोगों में ज्यादा नफ़रत पैदा होती हो. मैंने जो पहला वीडियो किया था, “इतिहास में भविष्यवाणी का एक परिचय” “An Introduction to Prophecy in History”, उसमें अब्राहम के बारे में एक हिस्सा है और कैसे जो आज अरबों मानते हैं उसमें से बहुत सारा उसी से शुरू हुआ था. और यहाँ तक की अब्राहम को विशिष्ट, समय से सम्बंधित भविष्यवाणियां मिलीं, जैसे भविष्यवक्ता दानिएल को कुछ १४०० वर्ष बाद में.

मेरे लिए, ये सब काफ़ी निजी है. क्योंकि मुझे परमेश्वर में विश्वास में नहीं बड़ा किया गया था और जब तक मैं १२ वर्ष का हुआ, मैं एक उत्सुक नास्तिक था. और मुझे नास्तिकता से मुक्त कराने के लिए चमत्कारों के एक सिलसिले और मेरी जिंदगी पर परमेश्वर के कुछ कड़े लेकिन रहमदिल अनुशासित हाथ की ज़रुरत पड़ी. उन अनुभवों द्वारा मैं जान पाया की एक आत्मिक संसार भी है और मैं काफ़ी ज्यादा गलत तरफ़ को था, उसकी अँधेरी तरफ़. तो मैंने परमेश्वर को सच में पुकारा, ज्योति, प्रेम और सत्य के परमेश्वर, अब्राहम के परमेश्वर को, मुझे मरने से और नरक जाने से बचाने के लिए, जो में बहुत करीबन करने वाला था.

परमेश्वर के बारे में लिखना विवाद, अज्ञात बातों, राष्ट्रवाद और हटधर्मिता से इतना भरा हुआ है कि मैं सचमुच ये बहुत ज्यादा नहीं करता. लेकिन ये देखना कि परमेश्वर को पवित्र गर्न्थों में कैसे दर्शाया गया है सम्मोहन की बात है. जब से मैं विश्वास करने लगा हूँ मेरी खुद भविष्यवक्ता दानिएल के लेखों में सम्मोहन रहा है. और सम्पूर्ण बाइबल में दानिएल अध्याय ७ में, परमेश्वर के सबसे अनोखे मानस दर्शनों में से एक है. वहां उसे “अति प्राचीन” (दानिय्येल ७:९ & १०) कहा गया है.

यीशु नासरी के सहोदर भाई, याकूब, ने परमेश्वर को “ज्योतियों के पिता” कहा. येशु स्वयं ने कहा “परमेश्वर आत्मा है” और यूहन्ना, येशु के सबसे करीब शिष्य ने कहा, “परमेश्वर ज्योति है” और “परमेश्वर प्रेम है”.

कुरान में, शायद परमेश्वर का सबसे प्रसिद्ध विवरण उसके बारे में कहता है, “अल्लाह, सबसे कृपालु, सबसे रहमदिल, के नाम में”. क्या यह अब्राहम के परमेश्वर का वर्णन है; क्या यह मेरे परमेश्वर के बारे में बोल रहा है. बेशक हाँ.

मेरे खुद का एक सात महीनों का समय रहा था जहाँ मुझे पता था कि परमेश्वर असल में था क्योंकि उसने मेरे जीवन में बड़े तरीके से दखल दिया था और स्पष्ट, चमत्कारी तरीकों द्वारा अपने को प्रदर्शित किया था. मैं जानता था की परमेश्वर सचमुच में है. में ये भी जानता था कि शैतान सचमुच में है क्योंकि उसने भी अपने आप को मुझे साफ़ प्रदशित किया था और मैं उससे कुछ लेना देना नहीं चाहता था.

इसलिए परमेश्वर में जो अरबों लोग विश्वास रखते हैं, अब्राहम के परमेश्वर में, मुझे उनके साथ एक अपनेपन सा आत्मीय रिश्ता महसूस होता है, क्योंकि मैं भी वैसा था. और कई प्रकार से अभी भी हूँ. तो जब मेरी मुलाकात किसी से होती है जो मेरे “समान धर्म” का नहीं है, पर हम अब्राहम के परमेश्वर में एक जैसा विशवास रखते हैं, मुझे आम तौर पर उस शख्स के साथ तुरंत एक अपनापन और नज़दीक का सम्बन्ध महसूस होता है.

ये व्यक्ति मेरे परेश्वर को मानता है, अब्राहम के परमेश्वर को. यह जानता है की परमश्वर महान है और अच्चा है और कि हम एक आत्मिक संसार में रहते हैं, न ही केवल एक शारीरिक, सियासी, प्राकृतिक में. यह उसी परमेश्वर को पूजता है जिसे कि मैं. यह परमेश्वर के सामने विनीत होना और इस संसार के लोगों को प्रेम और परोपकार दिखाना जानता है.

और अक्सर, अगर मैं इस पुरुष या महिला के विशवास के प्रति सम्मान दिखाता हूँ, कि हम दोनों परमेश्वर के प्रति एक गहरा सामान्य विशवास और प्रेम रखते हैं, मैं पाता हूँ की दूसरा व्यक्ति मेरी उसकी इज्ज़त करने का, आदर और मित्रता के साथ जवाब देता है.

शायद एक संसार जो इतना बंटा हुआ और नफ़रत से भरा हुआ हो, जैसे कि ये वाला अभी है, उसमे ये ज्यादा नहीं है. पर ये एक शुरुआत है. ये एक शांति, प्रेम और विशवास कि राह है बजाय कि नफ़रत और लड़ाई कि. पृथ्वी पर सबसे महान आदमी जो कभी चला था उससे पूछा गया की सबसे बड़ी आज्ञा क्या थी. उसने कहा, “तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना.” और फिर उसने कहा कि दूसरी आज्ञा पहली के जैसी है, “तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना.”

मैं मानता हूँ कि यह अब्राहम के परमेश्वर की मर्ज़ी का प्रतिक है: उसे हमारे पुरे दिल से प्रेम करना. और फिर अपने पड़ोसियों को अपने समान प्रेम करना. अब्राहम का महान परमेश्वर हमें ये चीज़ें करने के लिए प्रेम और शक्ति दे. परमेश्वर के नाम में, आमीन.

क्रिसमस और भविष्यवाणी

दिसम्बर 6, 2019 · by Mark McMillion · In: Uncategorized

२००० वर्ष पहले की कोई और घटना संसार का ध्यान अपनी तरफ़ इस तरह नहीं पकड़ती जैसे कि क्रिसमस और यीशु का जन्म. दूसरे हाथ पर, कुछ शायद क्रिसमस के बारे में कहें, ”फिर से!” या शायद उनके शब्द ये हों, “किसी अनब्याही किशोरी को किसी गोशाला में बच्चा होता है और हम सब पागल हो जाते हैं!”

लेकिन मैं आपको एक बात बता सकता हूँ जो कि लगभग हमेशा क्रिसमस की कहानी के बारे में छोड़ दी जाती है जो कि शुरुआत में उनके लिए जिन्होनें प्राचीन इजराइल में पहले पहले उसे सुना, दर असल बहुत महत्व रखती थी. “वह क्या है?” आप पूछते हो? ये है: क्रिसमस. की हुई थी. भविष्यवाणी! यह इतनी महत्वपूर्ण है और आज लगभग अज्ञात. मैं समझाने की कोशिश करता हूँ.

जितना की कई क्रिसमस को तिरस्कार करते हैं, इसने ये संभव कर दिया है कि यीशु के जन्म की घटनाएं दूर दूर तक जानी और हर वर्ष मनाई जाती हैं, जैसे की वे २००० वर्ष से आती हो रही हैं. हर जगह सारे संसार में लोग, मसीही या और, अक्सर जाना करते हैं की यीशु का जन्म बेतलेहेम में हुआ था. तुम बलूचिस्तान में एक बच्चा होगे या न्यू यॉर्क में किसी धार्मिक यहूदी विद्यालय में. लेकिन अगर तुम अपने अध्यापक से पूछोगे, “क्रिसमस के बारे में ये क्या बात है?” वे शायद तुम्हें बता सकेंगे की क्रिसमस क्या होता है.

लेकिन लगभग कोई नहीं जानता कि ये क्यों मायने रखता है की यीशु का जन्म बेतलेहेम में हुआ था. और ये इसलिए है क्योंकि परिपूर्ण बाइबिल भविष्यवाणी हमारे प्रबुद्ध समय की अनजान गोचर वस्तुयों में से एक बन गई है. क्या कोई साज़िश रची गई है या गुप्त रूप से जान बुझ के बाइबिल भविष्यवाणी को हमारी जानकारी से मिटाने का प्रयास किया गया है? मुझे नहीं लगता कि सचमुच ऐसा है. फिर भी भविष्यवाणी का साफ़ साफ़ पूरा होना एक अलौकिक परमेश्वर के सबसे बड़े प्रमाणों में से एक है. एक परमेश्वर जिसके पास मानवजाति के लिए एक रचना है और जो घटनायों को प्रकाश और अंधकार के बीच एक अंतिम तसलीम की तरफ़ ले जा रहा है.

“बढ़िया मार्क! तो क्रिसमस के बारे में क्या भविष्यवाणी की गई थी?”

सबसे पहले बेतलेहेम खुद परमेश्वर द्वारा पहले से ही स्पष्ट रूप से मीका भाविश्वक्ता के मुंह के द्वारा आने वाले यहूदियों के राजा का जन्मस्थान बतलाया गया था, यीशु के जन्म के ७०० वर्ष पूर्व. मीका ५:२ में लिखा है, (परमेश्वर बेतलेहेम के शहर से कह रहा है), “हे बेतलेहेम एप्राता, यदि तू ऐसा छोटा है कि यहूदा के हजारों में गिना नहीं जाता, तौभी तुझ में से मेरे लिये एक पुरूष निकलेगा, जो इस्राएलियों में प्रभुता करने वाला होगा; और उसका निकलना प्राचीन काल से, वरन अनादि काल से होता आया है.”

यीशु के समय के यहूदी ये पूरी तरह से जानते थे कि इसका मतलब क्या था और उन्होनें ये साबित करने के लिए कि यीशु मसीह नहीं था, इसका इस्तेमाल भी किया. यीशु बेतलेहेम में पैदा  हुआ था पर वह नासरत में बड़ा हुआ था. तो न मानने वाले यहूदी जानते थे कि यीशु नासरत से था और बोले, “क्या पवित्र शास्त्र में यह नहीं आया, कि मसीह दाऊद के वंश से और बेतलेहेम गांव से आएगा जहां दाऊद रहता था?” (यूहन्ना ७:४२). परन्तु यीशु बेतलेहेम से ही आया था; वह वहां पैदा हुआ था हालाँकि वह नासरत में बड़ा हुआ था. मैं समझता हूँ की वे लोग जो इस बात को उसके खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे थे, उन्होनें अपनी खोज पूरी तरह से नहीं की थी.

उसका क्या मतलब है ”दाऊद के वंश से और बेतलेहेम गांव से आएगा जहां दाऊद रहता था”? और फिर से, ये मुख्यत: उनके लिए महत्व रखता था जो लोग २००० वर्ष पहले रहते थे, पर आज कल हम लोगों के लिए लगभग बिलकुल नहीं. आने वाला मसीह यहूदियों के लिए राजा दाऊद, इजराइल के सबसे महान राजा का सीधा वंशज होना था. और, जैसा की हमने पढ़ा है, मसीह को बेतलेहेम से आना था. अब, २००० वर्ष बाद, लोग अभी भी जानते हैं कि यीशु का जन्म बेतलेहेम में हुआ था. लेकिन इसका महत्व कहानी से मिटा दिया गया है.

ये पहले से बतलाया गया था, भविष्यवाणी की गई थी और उस समय का हर इसरायली ये बात जानता था. वे ये भी जानते थे कि मसीह राजा दाऊद का वंशज होना था. क्या यीशु दाऊद का जिस्मानी वंशज था. बिलकुल! लूका का सुसमाचार, अनुवाक्य ३:२३ से ३८, “कुंवारी मरियम” की वंशावली सीधे राजा दाऊद तक वापस खींच ले जाता है.

और उस “कुंवारी मरियम” बात के बारे में क्या? कृपया, मुझे खुश करो पर…ये. भविष्यवाणी. की गयी थी! आने वाले मसीह के बारे में भविष्यवाणी की गई थी कि वह एक कुंवारी से पैदा होगा. यशायाह ७:१४ कहता है, “इस कारण प्रभु आप ही तुम को एक चिन्ह देगा। सुनो, एक कुमारी गर्भवती होगी और पुत्र जनेगी, और उसका नाम इम्मानूएल रखेगी.” और इम्मानूएल का मतलब है “परमेश्वर हमारे साथ” (मत्ती १:२३)

वो मसीह जिसे उस समय का हर यहूदी खोजता था बेतलेहेम में जन्मना था, दाऊद की वंशावली का और एक कुंवारी से जन्मा. इसीलिए क्रिसमस इतना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यीशु एक अविवाहित किशोरी को पैदा हुआ कोई साधारण छोटा बच्चा नहीं था. वह इजराइल को वचन दिया हुआ मसीह था और है.

और भी है. उस समय का रोमी संसार पहले से ही जानता था की यहूदियों को एक राजा पैदा होने वाला था क्योंकि दानिएल की भविष्यवाणियों की जानकारी कुछ हद तक उस समय के पुरे संसार भर को मालुम थी. प्राचीन रोमी लेखों में कई जगह पाई जाती हैं जहाँ उन्हें मालुम था कि “चौथा राज्य” रोमी साम्राज्य था (दानिएल २:४० & ७:२३) और कि उस समय परमेश्वर “एक ऐसा राज्य उदय करेगा जो अनन्तकाल तक न टूटेगा”. (दानिएल २:४४)

अगर आपका क्रिसमस किसी जल्द भोजन के स्तर पर घट कर पहुँच गया है, जैसा की एक फ़ास्ट फ़ूड अड्डे पे, अगर परिपूर्ण भविष्यवाणी की सामग्री आपके आत्मिक भोजन से हटा दी गई है, तब जो वहां शुरुआत में था वह आपको पक्का नहीं मिल रहा. मुझे तो बस गुस्सा आ जाता है कि इस संसार के लोग आत्मिक रूप से कितने कमज़ोर, खाली और कुपोषित हो गए हैं क्योंकि उन्होनें परमेश्वर की महान शक्ति और उसकी यहाँ इस संसार में हमारे जीवन और भविष्य की मुख्य घटनायों को बताने की इच्छा के ज्ञान को खो दिया है. क्रिसमस केवल एक इतिहासिक घटना नहीं थी; ये मानवजाति के इतिहास में सबसे ज्यादा भविष्यवाणी की गई घटनायों में से एक थी. पर यह बात लगभग हमपर से खो गई है.

मैं आशा करता हूँ कि आपका क्रिसमस खुशदिल हो. पर मैं ये भी आशा करता हूँ कि आप “अनुग्रह और पहचान में बढ़ते जाओ” (२ पतरस ३:१८) और सत्य और परमेश्वर के वचन के द्वारा “भीतरी मनुष्यत्व में सामर्थ पाकर बलवन्त होते जाओ” (इफिसियों ३:१६), जिसमें इतना सारा आज के समय में हम में से बृहत बहुमत के लिए इतना दूर और पराया है.

बुद्धि ही मुख्य चीज़ है

मई 11, 2019 · by Mark McMillion · In: Uncategorized

कुछ दिन पहले मैं एक नवयुवक से बात कर रहा था, जो बालिग़ होने ही जा रहा था. वह एक शिक्षित परिवार से आता है और वह अपने जीवन के बारे में कुछ मुख्य फ़ैसले लेने की प्रक्रिया में है. इससे पहले मेरी उसके साथ कभी कोई अर्थपूर्ण बातचीत नहीं हुई थी और हमारे पास बात करने के लिए कोई सचमुच लम्बा समय नहीं था. पर उन मिनटों में जो उसके साथ मेरे पास थे, मुझे ऐसा लगा की मैं उसके साथ बुद्धि के महत्व के बारे में बात करूँ.

मेरी बुरी भाषा को यहाँ माफ़ करना पर जिंदगी कुतिया माफ़िक है, या कभी कभी ऐसी हो सकती है. और अजीब तो यह है, जो आप विश्वविद्यालय में सीखते हो, कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि कौनसा है, वह आप को “जीवन के मामलों ” के लिए, जैसा की सुलेमान ने उन्हें नाम दिया है, तैयार नहीं करता (नीतिवचन ४:२३). इस जीवन में सबसे अद्भुत चीज़ों में से एक यह है कि कितनी ज़रूरी (पर कभी कभी हाथ में न आनेवाली) बुद्धि है और कितना मामूली ज्ञान है.

पर इस आधुनिक संसार में, लगता है कि उल्टा है. दिमाग और अक्ल की पूजा की जाती है, हर कीमत पर ऊँचा उठाया और चाहा जाता है. पर बुद्धि लगभग उन चीज़ों में से एक है जिसे करीबन कूड़े की टोकरी में फ़ेंक दिया गया है, कुछ सच्चाई के माफ़िक. वे कहते हैं की सब सच आपेक्षिक है, सच नाम की कोई चीज़ ही नहीं है. और बुद्धि भी सचमुच शंकास्पद है, जिसकी लगभग सभ्य समाज में बात ही नहीं की जाती.

पर यहाँ ये नवयुवक मेरे सामने बैठा हुआ था और मुझे लगा कि मैं इससे वही कहूँ जो ३००० वर्ष पहले सुलेमान ने अपने पुत्र से कहा होगा.

“बुद्धि श्रेष्ट है इसलिये उसकी प्राप्ति के लिये यत्न कर; जो कुछ तू प्राप्त करे उसे प्राप्त तो कर परन्तु समझ की प्राप्ति का यत्न घटने न पाए ” 

(नीतिवचन ४:७)

क्या तुम्हारे विश्वविद्यालय में बुद्धि १०१ नाम का कोई पाठ था? मुझे नहीं लगता. ये पक्का परमेश्वर का चमत्कार है कि जब मैं विश्वविद्यालय में पढ़ रहा था, मेरी मृत्यु नहीं हुई, मुझे जेल नहीं हुई, या मैं पागलखाने नहीं जा पहुंचा. मैं इतना मुर्ख, इतना अज्ञानी था. सुलेमान का फिर उद्धरण करें तो, “यहोवा का भय मानना बुद्धि का आरम्भ है, और परमपवित्र ईश्वर को जानना ही समझ है” (नीतिवचन ९:१०) और मुझे उस समय प्रभु का न कोई डर न ज्ञान था. और आजकल तो कम और कम युवा लोगों को है क्योंकि ज्ञान और “शिक्षा” आज के समय के भगवान हैं. पर बुद्धि सड़क के किनारे छोड़ दी गई है, एक और चीज़ की तरह उतार फ़ेंक, जिसे कि आधुनिक लोगों ने जाना है कि असल में होती ही नहीं है.

तो मैं अपने युवा मित्र को बुद्धि के महत्व के बारे में बता रहा था. ये अक्सर अपने को तब प्रस्तुत करती है जब हम पाते हैं की हमसे कोई गलती हुई है, कभी कभी एक भारी गलती. कम से कम लोग ये तो बोलते हैं, “हम अपनी गलतियों से सीखते हैं”, इसे बुद्धि कहा जा सकता है. और यह बुद्धि ही है जो सफ़ल, फलदायक और संतोषजनक जीवन बनाती है.

नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela) को किस बात ने महान बनाया? ज्ञान ने? मैं नहीं सोचता. मैं ठीक उद्धरण नहीं जानता पर उन्होनें कुछ ऐसा कहा कि उन्हें पता था, जब उन्होनें २६ वर्ष बाद जेल छोड़ा, कि अगर लोगों ने उनके साथ जो किया था, वे उसे भूलते न और माफ़ न करते, तो एक तरह से वे वास्तविक तरीके में अभी भी जेल में ही होते.

ये उन्होनें कहाँ सीखा? विश्वविद्यालय में? न. ये वैसी चीज़ें हैं जो इतिहास में हर जगह महान आध्यात्मिक गुरुओं ने सिखाई हैं. पर, दूसरी तरफ़, इतिहास “ज्ञानी”, “प्रतापी” लोगों से (और राज्यों से भी) भरा हुआ है जो कि बुरी तरह फ़ेल हो गए क्योंकि हालाँकि उनको अपने दिमाग पर पक्का विश्वास था, वे पूरी तरह से बुद्धि हीन थे.

और अवश्य ही मैं यहाँ परमेश्वर की दी गई बुद्धि के बारे में बात कर रहा हूँ. येशु ने स्वयं दूसरी तरह की बुद्धि के बारे में बोला था जब उसने कहा, “इस संसार के लोग अपने समय के लोगों के साथ रीति व्यवहारों में ज्योति के लोगों से अधिक चतुर हैं” (लूका १६:८). या जैसे याकूब, प्रभु के भाई ने कहा, “यह ज्ञान वह नहीं, जो ऊपर से उतरता है वरन सांसारिक, और शारीरिक, और शैतानी है” (याकूब ३:१५)

मैकियावेली का (Machiavelli’s) “राजकुमार” (“The Prince”) या मार्की डी सैड (the Marquis de Sade) के लेख इस तरह की “धूर्तता” से भरे हुए हैं, कुछ “वाल स्ट्रीट” (“Wall Street”) पिक्चर में गौर्डन गेक्को  (Gordon Gecko) की तरह, या वाटिका में सर्प, जो “जितने बनैले पशु थे, उन सब में धूर्त था” (उत्पत्ति  ३:१). सांसारिक, शैतान की धूर्तता.

लेकिन “पर जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है” (याकूब ३:१७) यही बुद्धि नेल्सन मंडेला ने अपनी बाद की जिंदगी में प्राप्त करी और उस तरह की बुद्धि जिसका कई शताब्दियों से आदर और इज्ज़त किया गया है, भले ही वो हमारे समय में घटती जा रही, नापसंद और बदनाम हो.

मैं इस नवयुवक से जब बातें कर रहा था, मैं उसे अपने जीवन में जो मैंने पाया है, प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहा था, कि “बुद्धि श्रेष्ट है” (नीतिवचन ४:७). मैंने उससे कहा कि वह एक नाविक की तरह था, जो अपने परिवार के आश्रय को छोड़ने वाला है और बालिग़ जीवन के विशाल, तुफ़ानी महासागरों में उतरने जा रहा है. मेरा अनुभव रहा है की शिक्षा और ज्ञान यकीनन ज़रूरी हैं. पर ये तो सभी कहते हैं. जो तुम अब बिलकुल नहीं सुनते हो है बुद्धि की नाज़ुक ज़रुरत, जो चीज़ पानी हर दिन और मुश्किल होती जा रही है. आशा है जो मैंने उससे कहा वह उसे याद रखेगा.

 

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मार्क के बारे में

मैं मार्क मैकमिलियन हूँ. मैंने, अपने विदेश में जो ३६ सालों में पाठ पढ़ाये हैं, उन पर आधारित यह वीडियोस की सीरीज बनायीं है. मैं, परमेश्वर की सेवा में, दर्जनों देशो में रहा हूँ, इस प्रयास में कि उसके प्यार को और उसके और उसके पुत्र येसु के ज्ञान को, सभी लोगों के पास हर जगह पहुंचा सकूँ. पढ़ना जारी रखें>>

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